नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
डॉ निखिल कुमार रस्तोगी - "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस"
वर्तमान की वैश्वीकरण वाली प्रतिस्पर्धा के दौर में महिलाएं न केवल अपना घर ही संभालती है बल्कि देश और पूरी दुनिया की तरक्की में भी अपना पूर्ण योगदान प्रदान कर रही है। आज घर से लेकर विभिन्न क्षेत्रों चाहे वह आईटी क्षेत्र हो बैंकिंग क्षेत्र हो या अन्य कोई भी क्षेत्र हो महिलाएं सभी में अपनी प्रतिभा और कार्य कुशलता का लोहा मनवा रही है। महिलाओं के इसी हिम्मत और हौसले तथा जज्बे को सराहना और सम्मान देने के लिए ही दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का एक खास उद्देश्य हमारे समाज में महिलाओं को बराबरी का हक दिया जाना और महिला सशक्तिकरण पर बल देना है तथा साथ ही साथ किसी क्षेत्र विशेष में यदि महिलाओं के साथ कोई भेदभाव हो रहा है तो उसे भी रोकना।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 का अध्याय वाक्य उसकी गिनती करें आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से लैंगिक समानता में तेजी लाना है जिसका अर्थ है कि आर्थिक सशक्तिकरण होने से महिला पुरुष समानता में तेजी आएगी। बगैर इसके हम सामान मूल्य समावेशी और न्याय संगत भारत का निर्माण नहीं कर सकते हैं। महिलाओं को अर्थव्यवस्था में समान भागीदारी प्राप्त करने के लिए बहुत ही समस्याओं और बढ़ाओ का सामना करना पड़ता है। विभिन्न क्षेत्रों में जैसे शिक्षा रोजगार वित्त से संबंधित सेवाओं तथा साक्षरता आदि तक में समान पहुंचकर बगैर हम महिला पुरुष समानता तक पहुंचाने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं और यदि ऐसा करते हैं तो यह एक कोरी कल्पना ही मात्र होगी। हम सभी लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए की लड़कियों और महिलाओं को उनकी क्षमता के निर्माण हेतु उनको सीखने और नेतृत्व करने का समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
इन सभी परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए ही पिछले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 का ध्येय वाक्य डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इस ध्येय वाक्य को रखने का मुख्य कारण यह था कि महिला पुरुष समानता को प्राप्त करने के लिए सभी लड़कियों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए डिजिटल वैज्ञानिक युग में नए-नए प्रयोग तकनीकी और विकास तथा शिक्षा को खूब बढ़ावा दिया जाए। लड़कियों और महिलाओं के संबंध में विकास से आशय उनको लेकर समाज के अंदर जो पूर्वाग्रह सोच और विचार विद्यमान है उनमें आमूल चूल परिवर्तन लाना। महिलाओं को सामान्य प्रदान करना उनका विकास करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाना उनकी शिक्षा आदि पर जोर देना कार्य क्षेत्र आदि में सुरक्षित वातावरण का निर्माण करना तथा उनको सम्मान प्रदान करना।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने का उद्देश्य महिलाओं को क्षमतावान तथा सशक्त बनाना था। क्योंकि समाज में आज भी ज्यादातर पुरुष महिलाओं को अपने से कमतर आंकते हैं तथा वह सम्मान और स्थान देना नहीं पसंद करते जो वह स्वयं रखते हैं। अब इस पुरुष मानसिकता कहा जाए या हटा की कहीं ना कहीं पुरुष महिलाओं को अपने से कम समझना आया है और इसी मानसिकता को बदलना बहुत जरूरी था और है और इसमें बदलाव केवल महिलाओं को बेहतर अवसर प्रदान करके ही दिया जा सकता था और है। जब महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर प्रदान किया जाने लगा तो वह सशक्त हुई और उन्होंने अवसर का लाभ उठाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी तथा अपने आप को साबित भी किया। यह महिलाओं की व्यक्तिगत योग्यता और उनकी क्षमताओं का ही परिणाम है कि आज महिलाएं बेहतर से बेहतर स्थिति में है परंतु अभी भी महिला सशक्तिकरण तथा उनकी बेहतरी की दिशा मैं बहुत कार्य करने की आवश्यकता है।
- डॉ निखिल कुमार रस्तोगी
सहायक अध्यापक (शारीरिक शिक्षा)
श्री रघुराज सिंह हायर सेकेंडरी स्कूल, लोनियनपुरवा,
जनपद सीतापुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर 8957 817 635
ईमेल nikhilrastogi476@gmail.com
अस्वीकरण (Disclaimer): इस लेख/कविता/रचना में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं और उनकी व्यक्तिगत दृष्टि को दर्शाते हैं। ये विचार स्मिता नागरी लिपि साहित्य संगम/शोध निरंजना के संपादक अथवा संपादकीय मंडल के सदस्यों या उनके विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।