नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
डॉ. पूनम गुप्त - "औरतें" (कविता)
औरतें बीमार नहीं होती।
हाँ, औरतें प्रायः बीमार नहीं होती।
तेज़ बुखार आ जाने पर भी
सरदर्द या चक्कर खा जाने पर भी
ज़्यादा देर वह नहीं करतीं आराम।
दिखते हैं उन्हें तब भी ढेरों काम।
चाह कर भी वे
नहीं रह पातीं शांत।
रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर भी
नहीं मिलता उन्हें एकांत।
होना चाहती हैं वे भी क्वारन्टीन
कुछ दिन संसार से।
पर नहीं टूट पातीं
अपने घर से, परिवार से।
थका महसूस होने पर भी
उन्हें पड़ता है मुस्कुराना।
क्योंकि परिवार की सेहत के लिए
जरूरी होता है घर का खाना।
लेकर एक पैरासिटामोल की गोली
वे उठ खड़ी होती हैं।
क्योंकि वे औरतें हैं,
उनकी जिम्मेदारियां बड़ी होती हैं।।
- डॉ. पूनम गुप्त
हिन्दी अध्यापिका एवं कवयित्री
पटियाला, पंजाब
purnam@gmail.com
9501566622
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