नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
डॉ. पूनम रानी गुप्ता - "नारी सफलता के मायने"
सफलता का लेबल लगाए
मैं असफल क्यों दिखती हूँ?
धरती की आधी आबादी हूँ
फिर भी अस्तित्वहीन लगती हूँ
साल दर साल ये चिंतन क्यों
कि क्या मैं सफल हूँ?
सदियों से तलाश रही हूँ
अस्तित्व स्वयं का, पर
क्या खोजूँ, क्या ढूँढूँ मैं?
कभी अतीत के पन्ने पलटती
कभी वर्तमान टटोलती,तो कभी भविष्य की उधेड़बुन में लगी रहती हूँ
प्रश्न वही-कि क्या मैं सफ़ल हूँ?
कभी आसमां देखती हूँ
जिसे छूना चाहा
कभी जमीं देखती हूँ
जिस पर जमना चाहा
पिता के घर- पति के घर
पर पैर उखाड़ दिए गए
दोनों जगह
कहाँ जाऊं, क्या करूँ?
प्रश्न वही-क्या मैं सफल हूँ?
मेरे भीतर बहुत कुछ है
जो छटपटाता है,
उमड़ता, घुमड़ता है
भीतर ही भीतर
बाहर आने को तड़फता है
आत्मा अकुलाती है
क्रंदन करती है, चीत्कार करती है
पूछती है- वही शाश्वत प्रश्न
क्या मैं सफल हूँ?
- डॉ. पूनम रानी गुप्ता
प्रोफेसर
बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय, बालूगंज, आगरा
मो. नम्बर : 9457385197
ईमेल - poonam52585258@gmail.com
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