नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
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"भारत में महिलाओं को पेटेंट के क्षेत्र में प्रोत्साहन" (लेख) - डॉ आलोक गुप्ता और श्रीमती तृप्ति गुप्ता
महिला दिवस के महत्वपूर्ण दिन पर, हमें गर्व महसूस होता है कि भारतीय समाज में महिलाओं द्वारा पेटेंट आवेदन करने के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। पेटेंट के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को प्रोत्साहित करने से, हम समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर और समानाधिकार के उदहारण प्रस्तुत करते हैं।
महिलाओं के पेटेंट आवेदनों के क्षेत्र में वृद्धि को बढ़ाने के लिए, सरकार, गैर-सरकारी संगठन, और विभिन्न स्तरों के शिक्षात्मक संस्थानों को साथ मिलकर काम करना होगा। संगठनों को महिलाओं को पेटेंट आवेदन करने के लिए उनकी प्रौद्योगिकी और अविष्कारों की साझा करने के लिए प्रोत्साहित करने का काम करना चाहिए।
बौद्धिक संपदा (आईपी) लिंग अंतर एक वास्तविक समस्या है; डब्ल्यूआईपीओ की पेटेंट सहयोग संधि (पीसीटी) के माध्यम से दायर किए गए केवल 16 प्रतिशत पेटेंट आवेदन महिलाओं के हैं, जिससे अनगिनत प्रतिभाशाली दिमाग और उनके विचार अप्रयुक्त रह गए हैं। डब्ल्यूआईपीओ का अनुमान है कि मौजूदा दरों पर, पीसीटी-सूचीबद्ध अन्वेषकों के बीच लैंगिक समानता 2064 से पहले हासिल नहीं की जाएगी। महिला नवप्रवर्तकों को सक्षम करके, हम नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर सकते हैं और आर्थिक विकास को गति दे सकते हैं।
पारिवारिक जिम्मेदारियों से संबंधित अनुपस्थिति के बाद कार्यबल में महिलाओं के पुन: प्रवेश का समर्थन करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने महिला वैज्ञानिक योजना (डब्ल्यूओएस) शुरू की है। यह योजना उन महिलाओं को एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहन के रूप में अनुसंधान अनुदान और फेलोशिप प्रदान करती है, जिन्होंने करियर ब्रेक लिया है। आज तक, लगभग 800 महिलाओं ने पीडीएफकार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनमें से लगभग 270 पंजीकृत पेटेंट एजेंट बन गए हैं, जो आविष्कारकों के साथ काम करके उन्हें अपने पेटेंट के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करने में मदद कर रहे हैं। ये महिलाएं वर्तमान में भारत में स्टार्ट-अप के लिए सक्रिय पेटेंट एजेंटों और आईपी फैसिलिटेटरों में से लगभग 10 प्रतिशत हैं। ऐसी योजनाएं अधिक समावेशी आईपी और नवाचार परिदृश्य बनाने में मदद करती हैं जहां महिलाएं अपनी प्रतिभा का उपयोग कर सकती हैं और सभी के लाभ के लिए अपनी महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ा सकती हैं।
महिलाओं के पेटेंट आवेदनों को प्रोत्साहित करने से, हम न केवल नए और नवाचारी विचारों को प्रोत्साहित कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अधिक से अधिक स्वायत्तता और स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ने का भी माध्यम प्रदान कर रहे हैं। महिलाओं के इस क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रोत्साहन देने से, हम न केवल उनकी अद्भुत क्षमताओं को पहचानते हैं, बल्कि समाज को भी एक नया परिपेक्ष्य प्रदान करते हैं, जहां महिलाएं सक्रिय रूप से नवाचार का हिस्सा बनती हैं। यह हर्ष का विषय है कि आज भारत का जन-मानस इस दिशा में तेजी से प्रयास कर रहा है ।
अंततः, महिला दिवस के इस अवसर पर, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाओं को पेटेंट के क्षेत्र में उनकी प्रतिभा को पूरा अवसर मिले और हम सभी और तेजी के साथ एक समान और न्यायसंगत समाज की दिशा में अग्रसर हों।
लेखकद्वय
- डॉ आलोक गुप्ता,
पेटेंट एजेंट (प्रतिष्ठान: आलोक गुप्ता & एसोसिएट्स, मुज़फ्फरनगर ,उत्तर प्रदेश)
- श्रीमती तृप्ति गुप्ता,
शिक्षिका, एस डी पब्लिक स्कूल, मुज़फ्फरनगर
ईमेल : ashirwad626@gmail.com मोबाइल : 9319279551
इस आलेख के लेखक के विषय में:
प्रथम लेखक मूल रूप से एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं; जो स्वतंत्र रूप से भारत सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त पेटेंट एजेंट के रूप में कार्यशील हैं। एक शिक्षक और प्रशासक के रूप में 30 वर्षों का अनुभव रहा है। वर्तमान में देश के विभिन्न शीर्ष शिक्षण संस्थानों के साथ एमओयू के द्वारा शिक्षक समुदाय द्वारा किए गए अनुसंधान और नवाचार जैसे पेटेंट, कॉपीराइट और इंडस्ट्रियल डिजाइन की फाइलिंग के कार्य में संलग्न हैं।
द्वितीय लेखिका गृह विज्ञानं की शिक्षिका हैं, जिनका शिक्षण के क्षेत्र में एक दीर्घ कालीन अनुभव रहा है महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सदैव प्रयासरत रहती हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer): इस लेख/कविता/रचना में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं और उनकी व्यक्तिगत दृष्टि को दर्शाते हैं। ये विचार स्मिता नागरी लिपि साहित्य संगम/शोध निरंजना के संपादक अथवा संपादकीय मंडल के सदस्यों या उनके विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।