नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
शारदा महेश कहार - "स्मिता"
जानती हूँ पर जताना नही चाहती।
समझती हूँ पर समझाना नही चाहती।
मानती हूँ पर मनवाना नही चाहती।
रोती हूँ पर रूलाना नही चाहती।
इस चाहने न चाहने में जिंदगी बितती जा रही है।
हाँ मैं आप से अपनापन चाहती हूँ।
आपको खोना नही आप में खो जाना चाहती हूँ।
आपके राज नही राजदार बनना चाहती हूँ।
आपकी जिंदगी का किस्सा नही हिस्सा बनना चाहती हूँ।
आपके लिए बला नही आप पर बलिदान होना चाहती हूँ।
आपसे कुछ छिनना नही आप पर न्यौछावर होना चाहती हूँ।
आपके लिए परिहास नही स्मित हास बनना चाहती हूँ।
हाँ मैं वही स्मिता हूँ….. जो अपनी अस्मिता को बनाए रखना चाहती हूँ।
- शारदा महेश कहार
रामनिवास रूईया महाविद्यालय, माटुंगा--१९
मुंबई (महाराष्ट्र)
पद - हिन्दी सहायक अध्यापिका
ईमेल पता- sharadakahar@ruiacollege.edu
मोबाइल नंबर : ९३२३९८५७७५
अस्वीकरण (Disclaimer): इस लेख/कविता/रचना में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं और उनकी व्यक्तिगत दृष्टि को दर्शाते हैं। ये विचार स्मिता नागरी लिपि साहित्य संगम/शोध निरंजना के संपादक अथवा संपादकीय मंडल के सदस्यों या उनके विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।