नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
नारी शक्ति को समर्पित "रचना पर्व"
नीलम - "नारी : एक नई पहचान" (कविता)
नारी आज अपना कल लिखती है ,
आग के पन्नों पर जल लिखती है ,
उसके वजूद से जाने उसे लोग ,
इस कोशिश में हर पल लिखती है।
नारी हर मुश्किल का हल लिखती है ,
ना मिटा सके कोई अस्तित्व उसका ,
इस द्वंद्व से निकलने के लिए,
नारी आज अपना कल लिखती है।
विश्वास है उसे इतना खुद पर ,
खुद की तकदीर वह खुद लिखती है ,
न जाने कल क्या हो ,
इसलिए हर मसला गंभीर लिखती है।
छोड़ रही है अपनी छाप समाज में ,
आज की नारी अपनी पहचान लिखती है ।
- नीलम
पद :- छात्रा (एम.ए - नेट ( हिंदी साहित्य) , सीटेट
मोबाइल नंबर :- 9896150712
ई.मेल :- neelamdamara436@gmail.com
अस्वीकरण (Disclaimer): इस लेख/कविता/रचना में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं और उनकी व्यक्तिगत दृष्टि को दर्शाते हैं। ये विचार स्मिता नागरी लिपि साहित्य संगम/शोध निरंजना के संपादक अथवा संपादकीय मंडल के सदस्यों या उनके विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।